शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

बिना तेरे

वो मेरी जिंदगी था आया

मेरे जीवन मै जीने की एक रौशनी बनके
पर न जाने इश्वेर को क्या मंज़ूर था ले गया उस को एक ही झौके मै
और आज मै अपने जीने की वजह को तलाश रही है उस के बिना
जो न मिली है न ही ,मिलेगी

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