कहो क्या ये जीवें है जहाँ इतनी दुःख इतनी पेशानिया
कैसे जीओं इससे जो एक प्रमाण बन
बहुत प्रयास किए मैने पर सब निर्थक नज़र आते हैं आज ये
पर दोस्त जी रहे हैं
और जीयेगी
जब तक है जीवन लड़ेगे हम उस खुदा से
और एक दिन जीत कर दिखायेगी अगेर उस खुदा ने जीवन दिया तो /
मंगलवार, 22 सितंबर 2009
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अच्छा प्रयास है ऐसे ही लिखती रहो.
जवाब देंहटाएंयही होना भी चाहिए
जवाब देंहटाएंयूँ ही अच्छा अच्छा लिखते रहें
rajni ji
जवाब देंहटाएंbahut sahi likha hai , ab har hafte kuch likha karo ... bahut accha prayaas hai ..
aabhar aapka
vijay
pls read my new poem on my blog
www.poemsofvijay.blogspot.com
रजनी जी !!! आप बहादुर महिला हैं ...... जीवन की चुनौतियों का सामना करने में आप समर्थ रहेंगी ऐसा विश्वास है..... मन के कष्ट शब्दों में पिरो देने से मन हल्का हो जाता है... इसलिए आप लगातार लिखते रहिये.......
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