मंगलवार, 22 सितंबर 2009

कहो क्या ये जीवें है जहाँ इतनी दुःख इतनी पेशानिया
कैसे जीओं इससे जो एक प्रमाण बन
बहुत प्रयास किए मैने पर सब निर्थक नज़र आते हैं आज ये
पर दोस्त जी रहे हैं
और जीयेगी
जब तक है जीवन लड़ेगे हम उस खुदा से
और एक दिन जीत कर दिखायेगी अगेर उस खुदा ने जीवन दिया तो /

4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा प्रयास है ऐसे ही लिखती रहो.

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  2. यही होना भी चाहिए
    यूँ ही अच्छा अच्छा लिखते रहें

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  3. rajni ji

    bahut sahi likha hai , ab har hafte kuch likha karo ... bahut accha prayaas hai ..

    aabhar aapka

    vijay

    pls read my new poem on my blog
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  4. रजनी जी !!! आप बहादुर महिला हैं ...... जीवन की चुनौतियों का सामना करने में आप समर्थ रहेंगी ऐसा विश्वास है..... मन के कष्ट शब्दों में पिरो देने से मन हल्का हो जाता है... इसलिए आप लगातार लिखते रहिये.......

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